Bhaiya Bhagwatidasji
भैया भगवती दासजी
भैया भगवती दास आगरा निवासी कटारिया गोत्रीय ओसवाल जैन थे। इनके पिता का नाम लालजी था। जिस समय कवि हुए उस समय आगरा दिल्ली शासन के अंतर्गत था और दिल्ली पर औरंगजेब का शासन था। कवि ने अपनी रचनाओं में औरंगजेब के शासनकाल की भी चर्चा की है। अन्य प्रमाणों से भी कवि का समय 18वीं शताब्दी निश्चित होता है। भैया भगवती दास की रचनाओं से मालूम चलता है कि वह गहन स्वाध्यायी थे और उन्होंने समयसार, आत्मानुशासन, गोम्मटसार, द्रव्य संग्रह आदि का गहन अध्ययन किया था। उन्होंने सैकड़ों स्तुति परक या भक्ति परक पद्य लिखे। इनके अनेक भजन और पद्य आज भी समाज में प्रचलित हैं। भैया भगवती दास की रचनाओं का संग्रह ब्रह्म विलास के नाम से प्रकाशित है। यह कवि की 67 रचनाओं का संग्रह है। इसमें कवि द्वारा रचित पुण्य पच्चीसिका, अक्षर बत्तीसीका , शिक्षावली, गुण मंजरी स्वप्न बत्तीसी, वैराग्य पचासीका, मन बत्तीसी आदि रचनाएं काव्य की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।